Uttar Pradesh : कांवड़ रूट पर लगीं ‘मैं एक हिंदू हूं’ नेम प्लेटें, मुरादाबाद में नया विवाद शुरू क्या गर्मा रही है राजनीति

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Uttar Pradesh : कांवड़ रूट पर लगीं ‘मैं एक हिंदू हूं’ नेम प्लेटें, मुरादाबाद में नया विवाद शुरू क्या गर्मा रही है राजनीति

News India Live, Digital Desk: कांवड़ यात्रा… सावन के महीने में भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाने वाली एक पवित्र यात्रा। इस यात्रा के दौरान हर साल धर्म और आस्था के साथ-साथ कई बार राजनीतिक और सामाजिक विवाद भी गरमा जाते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है! उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में कांवड़ यात्रा के रूट पर बनी दुकानों पर ‘मैं एक हिंदू हूं’ (I Am a Hindu) लिखी नेम प्लेटें लगाने से एक नया विवाद खड़ा हो गया है।

यह विवाद सीधे तौर पर ‘अवैध नाम पट्टिकाओं’ और सांप्रदायिक तनाव से जुड़ रहा है, जिसने पुलिस और प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

क्या है पूरा विवाद?

खबर है कि मुरादाबाद के कांठ रोड पर कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानों के बाहर हरे रंग के बड़े-बड़े साइन बोर्ड लगाए हैं, जिन पर ‘मैं एक हिंदू हूं’ और नीचे अपने दुकान का नाम लिखा है। ठीक वैसे ही, जैसे कुछ समय पहले नोएडा में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में दुकानों पर ‘मैं एक मुस्लिम हूं’ लिखावट देखने को मिली थी, जिस पर विवाद हुआ था।

  • विवाद की जड़: यह कदम सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने, और ‘मेरा हिंदू भाई, आप अंदर से सुरक्षित हैं’ जैसे अप्रत्यक्ष संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

  • प्रशासन की चिंता: पुलिस प्रशासन का कहना है कि किसी भी धार्मिक यात्रा के मार्ग पर इस तरह की नेम प्लेट लगाना उचित नहीं है, खासकर तब जब ‘दंगा’ या सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की कोई गुंजाइश हो।

  • नोएडा विवाद का दोहराव? ये ठीक वैसा ही मामला है जैसा कुछ समय पहले नोएडा के ‘मीट की दुकानों’ और ‘मुस्लिम हूं’ वाले बोर्ड पर हुआ था, जिसने काफी हंगामा मचाया था। पुलिस तब भी ऐसी ‘एक तरफा’ घोषणाओं को गलत बता चुकी है।

पुलिस और प्रशासन क्या कह रहा है?

पुलिस और जिला प्रशासन अब इन नेम प्लेटों को हटाने की तैयारी कर रहा है। उनका तर्क है कि कांवड़ यात्रा एक धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है और ऐसे मौके पर किसी भी तरह की भड़काने वाली गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कानून व्यवस्था बनाए रखना उनकी पहली प्राथमिकता है।

ये देखना दिलचस्प होगा कि ये मामला कितनी दूर तक जाता है। क्या यह सिर्फ दुकानदारों की पहचान का मामला है, या इसके पीछे कोई गहरी सांप्रदायिक या राजनीतिक मंशा छिपी है? इस विवाद ने फिर से समाज में धार्मिक पहचान और सार्वजनिक प्रदर्शन को लेकर एक बहस छेड़ दी है।

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