
News India Live, Digital Desk: Foreign Tour : चुनावों की गहमागहमी खत्म हो चुकी है, और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर दुनिया के मंच पर भारत का झंडा बुलंद करने के लिए तैयार हैं। उनका पहला बड़ा विदेशी दौरा G7 शिखर सम्मेलन के लिए कनाडा का होगा। लेकिन यह सिर्फ एक दौरा नहीं है, यह एक संदेश है। यह दुनिया को यह बताने का एक तरीका है कि भारत की विदेश नीति और दुनिया में उसका बढ़ता कद पहले की तरह ही मज़बूत और जारी रहेगा।
G7: दुनिया के ‘अमीरों का क्लब’ और भारत की अहमियत
G7 दुनिया के सात सबसे शक्तिशाली और अमीर देशों (अमेरिका, कनाडा, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इटली और ब्रिटेन) का एक समूह है। यह वो ‘क्लब’ है जहाँ दुनिया की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और भविष्य से जुड़े बड़े-बड़े फैसले लिए जाते हैं।
भारत इस क्लब का सदस्य नहीं है। लेकिन, पिछले कुछ सालों से भारत को लगातार इस बैठक में एक खास मेहमान के तौर पर बुलाया जा रहा है। यह दिखाता है कि ये बड़े देश भी अब यह मानते हैं कि भारत के बिना दुनिया की कोई भी बड़ी समस्या (जैसे- आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, या आर्थिक मंदी) सुलझाई नहीं जा सकती।
जब पीएम मोदी इस मंच पर बोलेंगे, तो वह सिर्फ भारत की बात नहीं करेंगे, वह विकासशील देशों (Global South) की आवाज़ बनेंगे। वह बताएंगे कि दुनिया को मिलकर कैसे आगे बढ़ना चाहिए।
साइप्रस और क्रोएशिया: नए दोस्तों से मिलते रिश्ते
कनाडा के बाद, पीएम मोदी दो छोटे, लेकिन महत्वपूर्ण यूरोपीय देशों- साइप्रस और क्रोएशिया भी जाएंगे। यह पहली बार होगा कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री इन देशों की यात्रा करेगा।
यह यात्रा सिर्फ हाथ मिलाने या फोटो खिंचाने के लिए नहीं है। यह यूरोप में नए दोस्त बनाने और अपने व्यापार और रिश्तों को और गहरा करने की एक कोशिश है। इन देशों के साथ मज़बूत होते रिश्ते, भारत को यूरोप में एक नई ताकत देंगे और व्यापार के नए रास्ते खोलेंगे।
यह पूरा दौरा एक बड़ी तस्वीर का हिस्सा है। यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ एक क्षेत्रीय ताकत नहीं, बल्कि एक ‘विश्व गुरु’ और ‘विश्व बंधु’ की भूमिका निभाने के लिए तैयार है, जो दुनिया के हर कोने में अपने दोस्त बनाना चाहता है।
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