Health Tips Lungs infection occurred after taking dip in Maha Kumbh water know what doctor says
Mahakumbh Water : महाकुंभ के पवित्र जल में डुबकी लगाने के बाद लंग्स इंफेक्शन (Lungs Infection) से जूझ रहे मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टर ने साइंस को कमजोर न करने की अपील की है. डॉ. दीपशिखा घोष ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बताया कि मरीज की हालत गंभीर है. उसे वेंटिलेशन और प्रोन पोजीशन पर रखा गया है. डॉक्टर की चेतावनी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की उस रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें NGT को कहा गया है कि प्रयागराज में गंगा–यमुना का पानी स्नान के लायक नहीं है. सीपीसीबी ने 73 जगहों के पानी की टेस्टिंग करने के बाद एनजीटी को रिपोर्ट सौंपी.
क्या है CPCB की रिपोर्ट
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट में 6 पैमानों पर गंगा-यमुना नदी का पानी जांचा गया है. इसमें pH यानी पानी कितना अम्लीय या क्षारीय है, फीकल कोलीफॉर्म, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD), केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD) और डिजॉल्वड ऑक्सीजन शामिल है.
ज्यादातर जगहों से सैंपल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से ज्यादा पाई गई है. 5 अन्य पैमानों पर पानी की गुणवत्ता मानक के अनुसार है. बता दें कि फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का लिमिट से ज्यादा होना मतली, उल्टी, दस्त, टाइफाइड, हैजा, स्किन डिजीज और अन्य गंभीर इंफेक्शन का कारण बनता है.
डॉक्टर का क्या कहना है
डॉ. दीपशिखा घोष ने बताया कि उनके पास एक मरीज आई, जिसके फेफड़ों में गंभीर संक्रमण है. कुंभ का पानी डुबकी लगाते समय उसकी नाक के अंदर पानी चला गया था. वह अब अपने आप सांस नहीं ले पा रही है. इसके बाद डॉक्टर ने कहा कि धर्म हमारे लिए आस्था का विषय है और महत्वपूर्ण भी लेकिन साइंस को भी जरूर माने. इसलिए सतर्क रहें.
डॉ. घोष ने सोशल मीडिया पर ‘द लिवर डॉक्टर’ के नाम से मशहूर डॉ. सिरिएक एबी फिलिप्स की एक पोस्ट का हवाला दिया. अपने पोस्ट में, डॉ. फिलिप्स ने इस बात पर जोर डाला में प्रयागराज में गंगा में मल बैक्टीरिया के हाई लेवल का खुलासा किया गाय था.
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सोशल मीडिया का रिएक्शन
डॉक्टर दीपशिखा की इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर तमाम तरह के रिएक्शन देखे जा रहे हैं. एक यूजर ने लिखा- शायद वह नहीं जानती कि डुबकी कैसे लगाई जाती है. आपको अपनी नाक और मुंह बंद करने की जरूरत है. वहीं, एक अन्य ने कहा, यह अजीब है। करोड़ों लोग डुबकी लगा चुके हैं, इस तरह का पहला मामला सुनकर आपको क्या लगता है कि कितने प्रतिशत लोगों को इस तरह की समस्या है.
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