
News India live, Digital Desk : Constitution is the soul of India: देश को एक धागे में पिरोकर रखने के लिए सबसे ज़रूरी क्या है? इस सवाल का एक बहुत ही मज़बूत और स्पष्ट जवाब देश की सर्वोच्च अदालत से आया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने एक ऐतिहासिक बयान देते हुए कहा कि किसी भी दे
श को एकजुट रखने के लिए “एक देश, एक संविधान” का सिद्धांत बेहद ज़रूरी है।
यह बात उन्होंने नागपुर में संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में कही। उनके साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ भी मौजूद थे।
धारा 370 क्यों थी अंबेडकर के सपनों के खिलाफ?
जस्टिस गवई ने उस ऐतिहासिक बहस को याद किया जब जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 पर चर्चा हो रही थी। उन्होंने बताया कि डॉ. अंबेडकर ने उस समय जम्मू-कश्मीर के लिए एक अलग संविधान और अलग झंडे का पुरजोर विरोध किया था। बाबासाहेब का मानना था कि भारत की एकता और अखंडता के लिए पूरे देश में एक ही संविधान और एक ही झंडा होना चाहिए।
जस्टिस गवई ने कहा, “डॉ. अंबेडकर की इसी विचारधारा को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में धारा 370 को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया। यह फैसला बाबासाहेब के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
संविधान सिर्फ किताब नहीं, समाज को बदलने का जरिया है: CJI चंद्रचूड़
इसी कार्यक्रम में बोलते हुए, CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भारतीय संविधान को एक “सामाजिक रूप से क्रांतिकारी दस्तावेज़” बताया। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान सिर्फ कानूनों की एक किताब नहीं है, बल्कि यह समाज में बराबरी और न्याय लाने का एक शक्तिशाली माध्यम है। उन्होंने याद दिलाया कि डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि कोई संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर उसे चलाने वाले लोग सही नहीं हैं, तो वह बुरा साबित होगा।
क्या है इस बयान का मतलब?
सुप्रीम कोर्ट के जजों का यह बयान सिर्फ एक कानूनी टिप्पणी नहीं है। यह एक मज़बूत संदेश है कि भारत की एकता का आधार उसका संविधान है। यह बताता है कि धारा 370 का हटना केवल एक राजनीतिक फैसला नहीं था, बल्कि यह देश के संविधान निर्माताओं के मूल सपनों को पूरा करने की एक कोशिश थी। यह बयान एक मज़बूत और एकजुट भारत की तस्वीर को और भी साफ़ करता है, जहाँ कानून और संविधान सर्वोपरि हैं।