News India Live, Digital Desk: Chhattisgarh Police : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर के जंगलों से अब बहुत बड़ी खबर आ रही है. सालों से जिस अबुझमाड़ को नक्सली अपना सबसे सुरक्षित किला और ‘राजधानी’ मानते आए हैं, अब उसी किले को भेदने और उसे हमेशा के लिए नेस्तनाबूद करने के लिए सुरक्षाबलों ने अपना सबसे बड़ा और शायद आखिरी ‘मास्टरप्लान’ तैयार कर लिया है.खबर है कि नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए, बस्तर के बीहड़ और दुर्गम जंगलों में सुरक्षाबलों के 30 नए बेस कैंप स्थापित किए जाएंगे. यह अब तक का सबसे बड़ा ‘घेराबंदी’ ऑपरेशन माना जा रहा है.कहां खुलेंगे ये नए कैंप और क्यों हैं ये इतने खास?यह कोई मामूली कैंप नहीं होंगे. इन्हें बहुत ही सोची-समझी रणनीति के तहत उन जगहों पर खोला जा रहा है, जिन्हें अब तक नक्सलियों का गढ़ माना जाता था.सबसे ज्यादा फोकस अबुझमाड़ पर: इन 30 नए कैंपों में से सबसे ज्यादा कैंप नारायणपुर और बीजापुर जिले में फैले अबुझमाड़ के जंगलों में खोले जाएंगे. यह वही इलाका है जहां आज तक सरकार और प्रशासन की पहुंच भी नहीं हो पाई है और जहां नक्सली अपनी ट्रेनिंग से लेकर सबसे बड़ी मीटिंग तक करते हैं.सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर भी निशाने पर: बाकी कैंप सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर के उन ‘कोर’ इलाकों में खोले जाएंगे, जहां नक्सली सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं.कैसे काम करेगा यह ‘घेराबंदी’ प्लान?इस प्लान का मकसद नक्सलियों को हर तरफ से घेरना और उनके भागने के सारे रास्ते बंद करना है.हर 5 किलोमीटर पर एक कैंप: रणनीति यह है कि इन इलाकों में हर 5 किलोमीटर के दायरे में सुरक्षाबलों का एक कैंप हो, ताकि किसी भी हमले की सूरत में तुरंत मदद पहुंचाई जा सके.नक्सलियों का सप्लाई नेटवर्क टूटेगा: कैंप खुलने से नक्सलियों को मिलने वाली राशन, हथियार और दूसरी मदद की सप्लाई लाइन पूरी तरह से कट जाएगी.विकास की बहेगी गंगा: जहां-जहां कैंप खुलते हैं, वहां-वहां सड़कें, स्कूल, अस्पताल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं भी पहुंचने लगती हैं. इससे आदिवासी ग्रामीणों का सरकार पर भरोसा बढ़ेगा और वे नक्सलियों का साथ छोड़ देंगे.छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा ने भी इस प्लान की पुष्टि करते हुए कहा है कि इस कदम से न सिर्फ नक्सलियों की गतिविधियों पर लगाम लगेगी, बल्कि इन इलाकों में विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे.साफ है, यह सिर्फ एक मिलिट्री ऑपरेशन नहीं, बल्कि नक्सलियों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए एक ‘डबल अटैक’ प्लान है – एक तरफ सुरक्षाबलों का दबाव, तो दूसरी तरफ विकास की रफ्तार.