
Big action by Yogi government : उत्तर प्रदेश में RTO यानी परिवहन विभाग के दफ्तर का चक्कर काटना किसी सिरदर्द से कम नहीं माना जाता। लंबी लाइनें, उलझी हुई प्रक्रिया और दलालों का जमघट—यह वो अनुभव है जिससे लगभग हर आम आदमी गुजरता है। लेकिन अब, योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस पूरे सिस्टम को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए एक बहुत बड़ा और कड़ा कदम उठाया है।
सरकार ने एक झटके में परिवहन विभाग में “बड़ी सर्जरी” करते हुए 11 संभागीय परिवहन अधिकारियों (RTO) और 24 सहायक संभागीय परिवहन अधिकारियों (ARTO) समेत कुल 35 अधिकारियों का तबादला कर दिया है।
तो इसका मतलब क्या है और आप पर इसका क्या असर पड़ेगा?
यह सिर्फ एक रूटीन ट्रांसफर नहीं है। जब एक साथ इतने बड़े पैमाने पर अधिकारियों को एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है, तो इसके पीछे सरकार का एक साफ संदेश होता है।
1. कार्यशैली में सुधार लाना:
अक्सर एक ही जगह पर लंबे समय तक टिके रहने से अधिकारियों के काम में सुस्ती आ जाती है। नए अधिकारियों को नई जगह पर भेजने का मकसद दफ्तरों में नई ऊर्जा भरना और काम करने के तरीके को बेहतर बनाना है।
2. भ्रष्टाचार और ‘सिस्टम’ पर लगाम:
यह किसी से छिपा नहीं है कि RTO दफ्तरों में दलालों का एक पूरा नेटवर्क काम करता है। इतने बड़े पैमाने पर तबादले इस नेटवर्क को तोड़ने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की एक बड़ी कोशिश मानी जा रही है।
3. जनता के लिए बेहतर सुविधा:
इस पूरे फेरबदल का अंतिम लक्ष्य एक ही है—आम जनता को बेहतर और पारदर्शी सुविधा देना। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने, गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराने या फिटनेस सर्टिफिकेट लेने जैसे कामों के लिए बेवजह परेशान न होना पड़े।
लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, और वाराणसी जैसे बड़े शहरों समेत प्रदेश के लगभग हर कोने में यह बदलाव किया गया है। अब यह देखना होगा कि ये नए अधिकारी जनता की उम्मीदों पर कितने खरे उतरते हैं। लेकिन एक बात तो तय है कि योगी सरकार ने एक सख्त संदेश दे दिया है कि परिवहन विभाग में अब लापरवाही और सुस्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।