News India Live, Digital Desk: Allopathy controversy : कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एलोपैथी पर दिए गए विवादित बयान को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ दर्ज मामले में एक बड़ा मोड़ आया है. छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस ने इस मामले में अपनी जांच पूरी कर ली है और कोर्ट में एक क्लोजर रिपोर्ट (खारिजी प्रतिवेदन) दाखिल कर दी है. पुलिस का कहना है कि उनकी जांच में बाबा रामदेव के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला नहीं बनता है.यह मामला उस वक्त का है जब देश कोरोना की सबसे घातक लहर से जूझ रहा था. उसी दौरान बाबा रामदेव का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह कथित तौर पर एलोपैथी को “तमाशा और दिवालिया साइंस” कहते हुए नजर आ रहे थे. उन्होंने यह भी कहा था कि एलोपैथी की दवाएं खाने से लाखों लोगों की मौत हुई है.IMA ने दर्ज कराया था केसबाबा रामदेव के इस बयान के बाद पूरे देश के डॉक्टरों में भारी नाराजगी देखने को मिली थी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की छत्तीसगढ़ इकाई ने इसे डॉक्टरों का अपमान और जनता को गुमराह करने वाला बयान बताते हुए रायपुर के सिविल लाइंस थाने में बाबा रामदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. IMA का आरोप था कि महामारी के इस खतरनाक समय में, जब डॉक्टर अपनी जान पर खेलकर लोगों की सेवा कर रहे हैं, तब रामदेव का यह बयान लोगों को इलाज से दूर कर सकता है और उनकी जान खतरे में डाल सकता है.पुलिस को जांच में क्या मिला?मामला दर्ज होने के बाद रायपुर पुलिस ने इस केस की जांच शुरू की. पुलिस ने इस मामले से जुड़े सभी पहलुओं, वीडियो फुटेज और दस्तावेजों की पड़ताल की. लगभग दो साल की लंबी जांच के बाद, पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि बाबा रामदेव के बयान में कोई आपराधिक मंशा नजर नहीं आती है और यह सीधे तौर पर किसी कानूनी धारा का उल्लंघन नहीं करता है. इसी आधार पर पुलिस ने अब मामले को बंद करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है.अब कोर्ट करेगा अंतिम फैसलाहालांकि, पुलिस की इस क्लोजर रिपोर्ट का यह मतलब नहीं है कि बाबा रामदेव पूरी तरह से बरी हो गए हैं. अब इस मामले में अंतिम फैसला अदालत को लेना है. अदालत पुलिस द्वारा पेश किए गए तथ्यों और रिपोर्ट की समीक्षा करेगी. इसके बाद ही यह तय होगा कि इस केस को बंद किया जाएगा या फिर इस पर आगे सुनवाई जारी रहेगी. बहरहाल, पुलिस की इस रिपोर्ट ने बाबा रामदेव को एक बड़ी कानूनी राहत जरूर दे दी है.