India-Africa Relations : पीएम मोदी ने बताया भारत-घाना दोस्ती का खास’ स्वाद पाइनएप्पल टिप्पणी ने खोला संबंधों का राज

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India-Africa Relations : पीएम मोदी ने बताया भारत-घाना दोस्ती का खास' स्वाद पाइनएप्पल टिप्पणी ने खोला संबंधों का राज
India-Africa Relations : पीएम मोदी ने बताया भारत-घाना दोस्ती का खास’ स्वाद पाइनएप्पल टिप्पणी ने खोला संबंधों का राज

News India Live, Digital Desk: India-Africa Relations : अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सिर्फ कूटनीति ही नहीं, बल्कि शब्दों और प्रतीकों की मिठास भी महत्वपूर्ण होती है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में संसद को संबोधित करते हुए एक ऐसी ही आत्मीय टिप्पणी की है, जो भारत और अफ्रीकी महाद्वीप के बीच गहरे होते रिश्तों को दर्शाती है। उन्होंने कहा, “हमारी दोस्ती घाना के पाइनएप्पल से भी मीठी है।” यह टिप्पणी घाना के ‘स्वर्ण तट’ के ऐतिहासिक संदर्भ से एक नई और सम्मानजनक साझेदारी की ओर इशारा करती है।

क्या था पीएम मोदी का आत्मीय संदेश?

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यह बात घाना के पाइनएप्पल (अनानास) के स्वाद से जोड़कर भारत-घाना के साथ-साथ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों की गहराई को व्यक्त किया। यह टिप्पणी भारत की विदेश नीति के उस दर्शन को भी दर्शाती है, जिसमें वह समानता, सम्मान और आपसी लाभ पर आधारित साझेदारी पर जोर देता है, खासकर ग्लोबल साउथ के देशों के साथ।

क्यों घाना के पाइनएप्पल का जिक्र?

घाना, जिसे ऐतिहासिक रूप से ‘गोल्ड कोस्ट’ (स्वर्ण तट) के नाम से जाना जाता था, आज भी कृषि उत्पादों, विशेषकर रसीले पाइनएप्पल, के लिए प्रसिद्ध है। औपनिवेशिक काल में घाना के सोने का भयानक तरीके से दोहन किया गया था। पीएम मोदी की यह टिप्पणी अतीत की उस आर्थिक शोषण की तुलना में एक नई साझेदारी को दर्शाती है, जहाँ अब रिश्ते फलदार कृषि उत्पाद और पारस्परिक सम्मान पर आधारित हैं, न कि कच्चे माल के शोषण पर।

भारत लगातार अफ्रीकी देशों के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत कर रहा है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, आधारभूत संरचना और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग पर केंद्रित है। मोदी का यह कथन न केवल भारत और घाना के बीच के मधुर संबंधों का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत अफ्रीकी महाद्वीप को एक विकास सहयोगी और सम्मानित भागीदार के रूप में देखता है, न कि केवल संसाधनों के स्रोत के रूप में।

यह आत्मीय टिप्पणी वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती सॉफ्ट पावर और समावेशी दृष्टिकोण को भी रेखांकित करती है, जहाँ देशों के बीच रिश्ते व्यापार के आंकड़ों से बढ़कर मानवीय और सांस्कृतिक जुड़ाव की मिठास पर आधारित होते हैं।

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