
जब भी हम मिस्र (Egypt)का नाम सुनते हैं,तो आँखों के सामने पिरामिड,ममी और फ़राओ राजाओं के खज़ाने घूमने लगते हैं। लेकिन हाल ही में,मिस्र की रेत के नीचे एक ऐसा राज़ सामने आया है,जिसने दुनिया भर के पुरातत्वविदों और इतिहासकारों को भी हैरान कर दिया है।यह कोई सोना-चांदी या किसी राजा का मक़बरा नहीं है,बल्कि उससे कहीं ज़्यादा रहस्यमयी और अनोखी चीज़ है।मंदिर के नीचे क्या मिला?दुनिया के सबसे बड़े और सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक,कर्नाक मंदिर (Karnak Temple)के ठीक नीचे,वैज्ञानिकों ने3,000साल पुराने एक’पवित्र द्वीप’ (Sacred Island)का पता लगाया है।और सबसे कमाल की बात यह है कि इसके लिए कोई खुदाई नहीं की गई! यह खोज ज़मीन के अंदर देख सकने वाली आधुनिक टेक्नोलॉजी (Geophysical survey)की मदद से की गई है। इस टेक्नोलॉजी ने मंदिर की नींव के नीचे दबी एक पूरी दुनिया का नक्शा तैयार कर दिया।क्या था मंदिर के नीचे बसे इस द्वीप का काम?तो सवाल उठता है कि मंदिर के नीचे इस द्वीप का क्या काम था?यह कोई आम द्वीप नहीं था। यह एक पवित्र और धार्मिक केंद्र था।प्राचीन मिस्र के लोग मानते थे कि दुनिया की शुरुआत पानी में से निकले एक टीले से हुई थी। यह द्वीप शायद उसी पहली पवित्र भूमि का प्रतीक था।सोचिए ज़रा,आज से3,000साल पहले… मंदिर के पुजारी अपने सबसे बड़े देवता’अमुन-रा’ (Amun-Ra)की मूर्ति को एक शाही नाव पर बैठाकर इस द्वीप के चारों ओर बनी नहर में घुमाते होंगे। यह एक भव्य और पवित्र उत्सव होता होगा,जिसमें हज़ारों लोग हिस्सा लेते होंगे और अपने देवता की पूजा करते होंगे। यह द्वीप उन धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र बिंदु था।क्यों है यह खोज इतनी बड़ी?यह खोज सिर्फ़ एक पुरानी जगह का मिलना नहीं है। यह उन प्राचीन धार्मिक कहानियों और ग्रंथों को सच साबित करती है,जिनमें ऐसे किसी पवित्र द्वीप का ज़िक्र मिलता था। अब तक जो सिर्फ़ कहानियों में था,अब उसका ठोस सबूत मिल गया है। इसने हमें यह भी दिखाया है कि3000साल पहले के लोग धर्म और विज्ञान (इंजीनियरिंग) में कितने आगे थे कि उन्होंने एक मंदिर के नीचे ही एक द्वीप और नहर का निर्माण कर दिया था।यह खोज हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि हमारी धरती की रेत के नीचे अनगिनत और रहस्य दबे हुए हैं, जो सही समय आने पर सामने आते हैं और हमें हमारे अतीत से रूबरू कराते हैं।
