
नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ एक बड़ा ऊर्जा समझौता (energy deal) किया है, जिसके तहत दोनों देश मिलकर पाकिस्तान के कथित ‘विशाल तेल भंडार’ (massive oil reserves) को विकसित करेंगे। ट्रंप की मानें तो यह सौदा इतना बड़ा है कि भविष्य में यह तेल भारत को भी निर्यात किया जा सकता है, भले ही वाशिंगटन (Washington) और नई दिल्ली (New Delhi) के बीच व्यापारिक तनाव (trade tensions) और टैरिफ (tariffs) को लेकर पहले से ही खटपट चल रही है।इस भू-राजनीतिक पहल (geopolitical overture) को क्षेत्रीय संतुलन (regional balance) बनाने और चीन (China) पर पाकिस्तान की बढ़ती निर्भरता (dependence on China) को कम करने की एक रणनीतिक चाल के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की तेल क्षमता (oil potential) अभी तक ज़्यादातर अप्रमाणित है, और मौजूदा आधारभूत ढांचे (scant infrastructure) को देखते हुए यह साझेदारी फिलहाल प्रतीकात्मक ज़्यादा और कार्रवाई योग्य कम नज़र आती है।सपनों से हकीकत तक: पाकिस्तान के वास्तविक तेल की संभावनाएँसरकारी घोषणाओं के पीछे की भौगोलिक हकीकत कुछ ऐसी है: पाकिस्तान के प्रमाणित पारंपरिक तेल भंडार (confirmed conventional oil reserves) विश्व स्तर पर मामूली हैं, जो दुनिया में लगभग 50वें स्थान पर आते हैं। वेनेजुएला जैसे विशाल भंडार (Venezuela-sized finds) के संकेत देने वाले ज़्यादातर भूकंपीय अध्ययनों (seismic studies) को व्यावसायिक ड्रिलिंग (commercial drilling) द्वारा अभी तक सत्यापित नहीं किया जा सका है। इंडस बेसिन (Indus Basin) में अपतटीय संभावनाएँ (offshore prospects) भी अभी सट्टा (speculative) ही हैं। किसी भी वास्तविक विकास के शुरू होने से पहले पर्याप्त निवेश (significant investment) और तकनीकी सत्यापन (technical validation) की आवश्यकता होगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि पहले निर्णायक परिणाम तक पहुँचने के लिए केवल 5 अरब डॉलर (up to $5 billion) और चार साल से अधिक (more than four years) का समय लग सकता है। फिलहाल, पाकिस्तान अपने पेट्रोलियम का अधिकांश हिस्सा आयात (imports) ही करता है, और तेल (oil) उसके कुल आयात बिल (overall import bill) का लगभग पांचवां हिस्सा (nearly a fifth) है।सुरक्षा संकट: अमेरिकी मौजूदगी पर तेल महत्वाकांक्षाओं को लगी रोकजैसे ही अमेरिका-पाकिस्तान तेल साझेदारी (US-Pakistan oil partnership) की खबर फैली, जमीनी हकीकत ने फोकस को पूरी तरह बदल दिया। 31 जुलाई (गुरुवार) को, कराची में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास (US Consulate General in Karachi) को उच्च-स्तरीय होटलों (upscale hotels) को निशाना बनाने की विश्वसनीय खतरों (credible reports of a threat) की सूचना मिली, जहाँ अक्सर कूटनीतिज्ञों (diplomats), पश्चिमी नागरिकों (Westerners) और पर्यटकों (tourists) का आना-जाना लगा रहता है। इसके जवाब में, अमेरिकी दूतावास ने तुरंत आधिकारिक कर्मियों (official personnel) को इन होटलों में जाने से प्रतिबंधित कर दिया और आपातकालीन सलाह (urgent advisories) जारी की, जिसमें अमेरिकियों (Americans) से भीड़ से बचने, कम प्रोफ़ाइल (low profile) बनाए रखने और प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों (key commercial areas) में सतर्क रहने का आग्रह किया गया।अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव: यात्रा चेतावनियाँ और बढ़ता तनावअमेरिकी सुरक्षा अलर्ट (US security alert) के कुछ ही घंटों के भीतर, ब्रिटेन के विदेश कार्यालय (UK Foreign Office) ने भी इसी तरह की चेतावनी (warnings) जारी की, जिसमें आतंकवाद के जोखिमों (terrorism risks) के कारण कराची (Karachi) और आसपास के क्षेत्रों में केवल आवश्यक यात्रा (essential travel) की सलाह दी गई। दोनों देशों ने दैनिक सुरक्षा (daily security) की अप्रत्याशितता, हिंसा के इतिहास (history of violence), और राजनीतिक उग्रवाद (political extremism) के खतरे को उजागर किया – ये ऐसे कारक हैं जिन्होंने तेल (oil) को लेकर पहले की उत्साह (excitement) को जल्द ही फीका कर दिया। पाकिस्तान में रेल सुरक्षा (rail safety in Pakistan) को लेकर भी चिंताएं बढ़ रही हैं, जो पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर (infrastructure) और रखरखाव के मुद्दों (maintenance issues) के कारण हाल के वर्षों में कई रेल दुर्घटनाओं (train accidents) का कारण बने हैं।
